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महापुरुष- महानायक प्रतियोगिता भाग 01 लेखनी कहानी -01-Oct-2022 सुभाष चन्द्र बोस



              महानायक सुभाष चन्द्र बोस
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       नेताजी सुभाष चनाद्र बोस का नाम स्वतनात्रता संग्राम के बडे़ महानायकौ मे लिया जाता है। सुभाष चन्द्र का जन्म उडी़सा के कुट्टक शहर में 23 जनवरी 1897 को हुआ था।  उनके पिताजी का नाम जानकी नाथ बोस था । नेताजी की माता का नाम प्रभावती देवी था। नेताजी का जन्म एक कायस्थ  परिवार में हुआ था।

      जानकी नाथ बोस कटक के बडे़ बकील थे। वह कटक महापालिका में सरकारी वकील थे।  उनको अँग्रेजी हुकूमत से राय बहादुर का खिताब मिला था।

       सुभाष जी प्रारम्भिक पढाई कटक में ही हुई थी बाद में वह बी आनर्स करने कलकत्ता चले गये थे। उन्हौने दर्शन शाष्त्र मे बीए आनर्स की परीक्षा प्रथम श्रेती में उत्तीर्ण की थी। इसके बाद उन्हौने आई ए एस की परीक्षा भी पास करली थी। भारत की जनता उनको नेताजी कहकर पुकारते थे।

        नेताजी  भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। उन्हौने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हीअंग्रेजौ के खिलाफ लड़ने हेतु जापान के सहयोग से आजाद हिन्द फौज का गठन किया था। और उन्हौने  इस युद्ध मे सक्रिय भूमिका निभाई थी।।

      उनके मन में देश प्रेम स्वाभिमान व साहस की भावना बचपन से ही भरी हुई थी  वह बचपन से भी अंग्रेजौ से घ्रणा करते थे। वह जानते थे कि किसी राष्ट्र के लिए स्वाधीनता सर्वोपरि होती है।

    नेताजी ने स्वाधीनता संग्राम के महायुद्ध मे प्रमुख  पुरोहित की भूमिका निभाई थी। उनके लिए स्वाधीनता जीवन मरण का प्रश्न बन गया था।

      उन्हौने नारा दिया था कि तुम मुझे खून दो मै तुम्है आजादी दूँगा। उन्हौने 5 जुलाई 1943 कं सिंगापुर के टाउन हाल मे दिल्ली चलने के लिए आवाहन किया था। उन्हौने ही भारत को स्वतन्त्रता दिलवाने मे सर्वोपरि भूमिका अदा की थी। 

        उन्हौने 21 अक्टूबर 1943 को स्वतन्त्र भारत की पहली अस्थाई सरकार बनाई थी और वह उसके फहले प्रधानमन्त्री थे। 

     नेताजी ने स्वतन्त्रता संग्राम में बढ़ चल कर हिस्सा लिया था। वह इ ग्यारह बार कारावास की सजा भी काट चुके थे। वह 18 अगस्त 1945 को हवाई जहाज से बैकांक से टोकियो जारहे थे। तभी उनका हवाई जहाज  तारहोकू के पास दुर्घटना ग्रस्त होगया कहते है कि उसी जहाज में नेताजी की मौत होगयी थी।

       परन्तु नेताजी की मौत को लेकर आथ तक विबाद बना हुआ है। उनके परिवार के लोग मानते है कि उस विमान में उनकी मृतायु नहीं हुई है  भारत सरकार ने भी उनकी मौत के दस्तावेज आज तक सार्वजनिक नही किये है इसलिए यह विबाद आजतक नही सुलझा है।

      भारत सरकार ने 23 जनवरी 1921 को उनकघ 125 वी जयन्ती को पराक्म दिवस के रूप में मना या था। नेताजी के द्वारा दिया गया नारा जय हिन्द  भारत का राषाट्रीय नारा बन गया था।

      हमारा देश स्वतन्त्रता संग्राम में उनके द्वारा दिये गये सहयोग को भुला नही सकता है।


महापुरुष महियकौ



महानायक महापुरुष प्रतियोगिता हेतु रचना का पहला भाग।

नरेश शर्मा " पचौरी "

01/10/2022

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8 Comments

VERY NICE ARTICLE

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नंदिता राय

02-Oct-2022 12:21 PM

शानदार

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Mohammed urooj khan

02-Oct-2022 10:49 AM

👌👌👌

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